1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 4 बिन्दा

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Karnataka 1st PUC Hindi Textbook Answers Sahitya Vaibhav Chapter 4 बिन्दा

बिन्दा Questions and Answers, Notes, Summary

I. एक शब्द या वाक्यांश या वाक्य में उत्तर लिखिएः

Binda Notes प्रश्न 1.
महादेवी वर्मा की बाल्य सखी का नाम लिखिए।
उत्तरः
महादेवी वर्मा की बाल्य सखी का नाम बिन्दा है।

Binda Class 11 Notes प्रश्न 2.
महादेवी वर्मा को किसका अनुभव बहुत संक्षिप्त था?
उत्तरः
महादेवी वर्मा को संसार का अनुभव बहुत संक्षिप्त था।

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Binda Hindi Lesson Notes प्रश्न 3.
पंडिताइन चाची के अलंकार उन्हें किसकी समानता दे देते थे?
उत्तरः
पंडिताइन चाची के अलंकार उन्हें गुड़िया की समानता दे देते थे।

Binda Hindi Lesson Questions And Answers प्रश्न 4.
बिन्दा का काम लेखिका को किसके तमाशे जैसा लगता था?
उत्तरः
बिन्दा का काम लेखिका को बाजीगर के तमाशे जैसा लगता था।

1st Puc Hindi Binda Notes प्रश्न 5.
बिन्दा की आँखें लेखिका को किसकी याद दिलाती थीं?
उत्तरः
बिन्दा की आँखें लेखिका को पिंजड़े में बंद चिड़िया की याद दिलाती थीं।

Binda Lesson Questions And Answers प्रश्न 6.
बिन्दा ने तारे गिनते-गिनते एक चमकीले तारे की ओर उँगली उठाकर क्या कहा?
उत्तरः
बिन्दा ने तारे गिनते-गिनते एक चमकीले तारे की ओर उँगली उठाकर कहा कि – “वह रही मेरी अम्मा’।

Binda Lesson Notes प्रश्न 7.
महादेवी वर्मा ने रात को अपनी माँ से बहुत अनुनय पूर्वक क्या कहा?
उत्तरः
महादेवी वर्मा ने रात को अपनी माँ से बहुत अनुनयपूर्वक कहा कि माँ तुम कभी तारा न बनना।

Binda Question And Answers प्रश्न 8.
महादेवी वर्मा किसके न्यायालय से मिलने वाले दण्ड से परिचित हो चुकी थीं?
उत्तरः
पंडिताइन चाची के न्यायालय से मिलने वाले दण्ड से महादेवी वर्मा परिचित हो चुकी थीं।

Binda Hindi Lesson प्रश्न 9.
महादेवी वर्मा को किसकी पत्तियाँ चुभ रही थीं?
उत्तरः
महादेवी वर्मा को घास की पत्तियाँ चुभ रही थीं।

Binda Lesson Summary प्रश्न 10.
किसने बिन्दा के पैरों पर तिल का तेल लगाया?
उत्तरः
महादेवी वर्मा की माँ ने बिन्दा के पैरों पर तिल का तेल लगाया।

Binda Summary In Hindi प्रश्न 11.
महादेवी वर्मा के लिए कौन त्रिकालदर्शी से कम न थी?
उत्तरः
महादेवी वर्मा के लिए रुकिया त्रिकालदर्शी से कम न थी।

अतिरिक्त प्रश्नः

Binda Summary In English प्रश्न 12.
‘बिन्दा’ रेखाचित्र की लेखिका कौन है?
उत्तरः
‘बिन्दा’ रेखाचित्र की लेखिका महादेवी वर्मा हैं।

Binda Mahadevi Verma Summary प्रश्न 13.
पंडिताइन चाची को बिन्दा क्या कहकर पुकारती थी?
उत्तरः
पंडिताइन चाची को बिन्दा नयी अम्मा कहकर पुकारती थी।

Binda 1st Puc Hindi प्रश्न 14.
नई अम्मा मोहन के साथ ऊपर के खण्ड में क्यों रहती थी?
उत्तरः
चेचक के डर से नई अम्मा मोहन के साथ ऊपर के खण्ड में रहती थी।

Binda Hindi Lesson Summary प्रश्न 15.
अंत में बालिका महादेवी वर्मा को बिन्दा के बारे में क्या पता चला?
उत्तरः
बालिका महादेवी वर्मा को पता चला कि वह तो अपनी आकाशवासिनी अम्मा के पास चली गई।

प्रश्न 16.
बहुत खुशामद करने पर रुकिया ने क्या बताया?
उत्तरः
बहुत खुशामद के बाद रुकिया ने बताया कि उसके घर में महारानी आई है।

II. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए:

प्रश्न 1.
महादेवी वर्मा को बिन्दा की याद क्यों आ गई?
उत्तरः
एक सज्जन बेटी को प्रवेश दिलाने स्कूल आये थे। उसकी कमजोर बेटी डरी हुई थी। उम्र ठीक न बताये जाने के कारण प्रवेश-पत्र लौटा दिया गया था। लेखिका ने सुना कि उन सज्जन की दूसरी पत्नी है, तो अचानक दो युगों से अधिक समय की धूल के नीचे दबी बिन्दा की याद आ जाती है।

प्रश्न 2.
महादेवी वर्मा को पंडिताइन चाची का कौन-सा रूप आकर्षित करता था?
उत्तरः
पंडिताइन चाची जब रंगीन साड़ी में सजकर, लाल स्याही की सिंदूर लगाकर, आँखों में काजल डालकर, चमकीले कर्णफूल, गले की माला, नगदार रंग-बिरंगी चूड़ियाँ और घुघरू वाले बिछुए पहनकर श्रृंगार करती, तो लेखिका महादेवी वर्मा को वह गुड़िया की तरह बहुत अच्छी लगती है।

प्रश्न 3.
महादेवी वर्मा के कभी-कभी छत पर जाकर देखने पर बिन्दा क्या-क्या करते दिखाई देती थी?
उत्तरः
जब कभी महादेवी वर्मा छत पर जाकर देखती, तो बिन्दा झाडू लगाती हुई, कभी आग जलाती हुई, कभी आँगन से पीने का पानी भरती हुई, तो कभी नयी अम्मा को दूध का कटोरा देती हुई दिखाई देती थी। ये सब बाजीगर के तमाशे की तरह लगता था।

प्रश्न 4.
बिन्दा अपनी नयी अम्मा से किस प्रकार डरती थी?
उत्तरः
बिन्दा नयी अम्मा से बहुत डरती थी। यहाँ तक कि थोड़ी बहुत ही आवाज आती अथवा आहट होती, तो वह काँपने लगती थी कि न जाने अब क्या होगा? नयी अम्मा की आवाज सुनते ही बिन्दा थर-थर काँपने लग जाती थी।

प्रश्न 5.
महादेवी वर्मा ने दोपहर के समय सबकी आँख बचाकर बिन्दा के घर पहुंचने पर क्या देखा?
उत्तरः
महादेवी वर्मा एक दिन दोपहर को सबकी आँख बचाकर बिन्दा के घर पहुंची, तो देखा कि नीचे के सुनसान खंड में बिंदा अकेली खाट पर पड़ी थी। आँखें धंस गई थीं। मुख दानों से भरकर न जाने कैसे हो गया था। लेखिका चकित चारों ओर देखती रह गई। बिन्दा ने कुछ संकेत और कुछ अस्पष्ट शब्दों में बताया कि नयी अम्मा मोहन के साथ ऊपर रहती है, शायद चेचक के डर से।

प्रश्न 6.
बिन्दा के घर के सामने भीड़ देखकर लेखिका के मन में क्या विचार आने लगे?
उत्तरः
बिन्दा के घर के सामने भीड़ देखकर लेखिका ने सोचा कि पंडितजी का विवाह तो दूसरी पंडिताइन चाची के मरने के बाद होगा। मोहन तो अभी छोटा है। शायद बिन्दा का विवाह हो रहा होगा और उसने मुझे बुलाया तक नहीं। अपमानित होकर बिन्दा को किसी भी शुभकार्य में न बुलाने की ठान ली।

अतिरिक्त प्रश्नः

प्रश्न 7.
बालिका महादेवी वर्मा ‘माँ’ नामधारी जीवों के कर्तव्यों के बारे में क्या समझा था?
उत्तरः
बालिका महादेवी ने यह समझा कि संसार का सारा कारोबार बच्चों को खिलाने-पिलाने और सुलाने का ही रहा है। इस महत्वपूर्ण कार्य में किसी भी प्रकार की चूक न होने देने का कार्य ‘माँ’ नामधारी जीवों को सौंपा गया है।

प्रश्न 8.
पंडिताइन चाची के स्वभाव के बारे में लिखिए।
उत्तरः
पंडिताइन चाची का स्वभाव विचित्र-सा था। उसके चिल्लाने की आवाजें बालिका महादेवी को सुनाई देती थीं। ‘उठती है या आऊँ, बैल के-से दीदे क्या निकाल रही है’, ‘मोहन का दूध कब गर्म होगा’, ‘अभागी मरती भी नहीं’ जैसे वाक्यों से वह बिन्दा को डाँटती रहती थी। वह बहुत ही कटु और उग्र स्वभाव की महिला थी।

प्रश्न 9.
बिन्दा के रूप-रंग का वर्णन कीजिए।
उत्तरः
बिन्दा नाटे कद की लड़की थी। उसके कद को देखकर ऐसा लगता था, मानो किसी ने ऊपर से दबाकर उसे कुछ छोटा कर दिया हो। उसके दुबले हाथ पाँव में से हरी-हरी नसें दीखती थी। उसके पाँव हरदम आने वाले भय के चलते थर-थर काँपते रहते थे।

प्रश्न 10.
बिन्दा और महादेवी वर्मा के घास की कोठरी में छिपने की कहानी लिखिए।
उत्तरः
एक दिन बिन्दा के हाथ से चूल्हे पर उफनते दूध की पतीली गिर पड़ी। वह नयी अम्मा के खौफ से भयभीत हो उठी। खौलते दूध से उसके पैर भी जल चुके थे। ऐसे में बिन्दा महादेवी का हाथ पकड़कर, उसे अपने घर में कहीं छिपा देने के लिए कहने लगी। दोनों गाय के लिए घास भरने वाली कोठरी में जा घुसी। महादेवी को घास की पत्तिया चुभ रही थी लेकिन बिन्दा अपने जले पैरों को घास में छिपाये महादेवी के हाथ पकड़े शांति से बैठी थी।

प्रश्न 11.
सबकी आँख बचाकर बिन्दा के घर पहुंचने पर महादेवी वर्मा ने वहाँ क्या देखा?
उत्तरः
महादेवी वर्मा ने देखा कि बिन्दा अकेली एक खाट पर पड़ी थी। उसकी आँखे गड्ढे में धंस गयी थी। मुख दानों से भर कर न जाने कैसा हो गया था। मैली सी चादर के नीचे छिपा उसका शरीर बिछौने से अलग नहीं जान पड़ता था। अर्थात् बिन्दा बहुत ही दुर्बल हो चुकी थी।

प्रश्न 12.
खिड़की से झाँक कर बिन्दा के दरवाजे पर जमा हुए आदमियों की भीड़ देखकर बालिका महादेवी ने क्या सोचा?
उत्तरः
बालिका महादेवी ने लोगों की भीड़ को देखकर सोचा कि शायद बिन्दा के घर में किसी का विवाह हो रहा हैं। किसका विवाह हो रहा है? इस तरह के प्रश्न उनके मन में तैरने लगे। वे इस नतीजे पर पहुँची कि शायद बिन्दा का विवाह हो रहा है और उसने मुझे बुलाया तक नहीं।

III. निम्नलिखित वाक्य किसने किससे कहे?

प्रश्न 1.
‘क्या पंडिताइन चाची तुम्हारी तरह नहीं है?’
उत्तरः
यह वाक्य महादेवी वर्मा ने अपनी माँ से कहा।

प्रश्न 2.
‘वह रही मेरी अम्मा’
उत्तरः
यह वाक्य बिन्दा ने महादेवी वर्मा से कहा।

प्रश्न 3.
‘तुम कभी तारा न बनना, चाहे भगवान कितना ही चमकीला तारा बनावें।’
उत्तरः
यह वाक्य महादेवी वर्मा ने अपनी माँ से कहा।

अतिरिक्त प्रश्नः

प्रश्न 4.
“आपने आयु ठीक नहीं भरी है।”
उत्तरः
महादेवी वर्मा ने सामने बैठे सज्जन से कहा।

प्रश्न 5.
“मेरी दूसरी पत्नी है और आप तो जानती ही होंगी ……..”
उत्तरः
सामने बैठे सज्जन ने लेखिका महादेवी वर्मा से कहा।

प्रश्न 6.
“अभागी मरती भी नहीं।’
उत्तरः
पंडिताइन चाची ने बिन्दा से कहा।

प्रश्न 7.
“क्या सवेरा हो गया?”
उत्तरः
महादेवी वर्मा ने अपनी सखी बिन्दा से कहा।

प्रश्न 8.
“क्या वे मुझसे नहीं मिल सकती?”
उत्तरः
महादेवी वर्मा ने अपनी सहेली रूकिया से कहा।

IV. ससंदर्भ स्पष्टीकरण कीजिएः

प्रश्न 1.
‘उठती है या आऊँ’, ‘बैल के-से दीदे क्या निकाल रही है’, ‘मोहन का दूध कब गर्म होगा’, ‘अभागी मरती भी नहीं’ आदि।
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बिन्दा’ नामक पाठ से लिया गया है जिसकी लेखिका महादेवी वर्मा हैं।
संदर्भ : पंडिताइन चाची यह शब्द बिन्दा को सुनाते हुए कहती हैं। इन वाक्यों में कठोरता की धारा बहती है।
स्पष्टीकरण : जब सर्दी के दिनों में लेखिका को देरी से उठाया जाता, गरम पानी से हाथ-मुँह धुलाये जाते, जूते और ऊनी कपड़े पहनाये जाते, जबरदस्ती गरम दूध पिलाया जाता, तब पड़ोस के घर में पंडिताइन चाची की आवाज कठोर शब्दों में सुनाई देती – अभागी तू अभी उठी नहीं? …… जल्दी से जाकर दूध ला ….. अभागी मर भी नहीं जाती।

प्रश्न 2.
‘तुम नयी अम्मा को पुरानी अम्मा क्यों नहीं कहती, फिर वे न नयी रहेगी और न डाँटेंगी।’
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बिन्दा’ नामक पाठ से लिया गया है जिसकी लेखिका महादेवी वर्मा हैं।
संदर्भ : जब बिन्दा महादेवी वर्मा को बताती है कि तारा बनकर मेरी माँ ऊपर से देखती रहती है और जो सजधज कर घर में आयी है वह नयी अम्मा है। तभी यह वाक्य महादेवी वर्मा अपनी सहेली बिन्दा से कहती है।
स्पष्टीकरण : बिन्दा की सौतेली माँ का उस पर अत्याचार होते देखकर लेखिका को बहुत दुख होता है। उनके बालसुलभ मन में यह बात बैठ जाती है कि जिस अम्मा को ईश्वर बुला लेता है, वह तारा बनकर ऊपर से बच्चों को देखती रहती है और जो बहुत सजधज से घर में आती है, वह बिन्दा की नयी अम्मा जैसी होती है। लेखिका की बुद्धि सहज ही पराजय स्वीकार करना नहीं जानती। इसी से उन्होंने सोचकर कहा कि यदि बिन्दा अपनी नयी अम्मा को पुरानी अम्मा कहेगी तो फिर वे नयी नहीं रहेगी और न डाँटेगी।

प्रश्न 3.
…. पंडिताइन चाची के न्यायविधान में न क्षमा का स्थान था, न अपील का अधिकार।
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बिन्दा’ नामक पाठ से लिया गया है जिसकी लेखिका महादेवी वर्मा हैं।
संदर्भ : नयी अम्मा अर्थात् पंडिताइन चाची के दिल में न दया थी और न क्षमा। वह बिन्दा को साधारण सी गलती पर भी उसे कठोर से कठोर दण्ड देती थी।
स्पष्टीकरण : एक दिन दूध गर्म करते समय दूध उफन कर बाहर निकलने लगा। तब बिन्दा उसे उतारने की कोशिश करने लगी पर वह दूध उसके पैरो पर गिर गया और पैर जल गया। लेकिन माँ के पास जाने की बजाय वह छुपना चाहती थी। वह अपनी सहेली के घर की कोठरी में छुप जाती है। तभी उन्हें पण्डिताइन चाची की उग्र आवाज सुनाई देती है। लेखिका की माँ बिन्दा के जले पैरों पर तिल का तेल लगाती है, और उसे उसके घर भिजवा देती है। पर चाची उसके प्रति सहानुभूति न दर्शाते हुए सेवा करने के बजाय कठोर शब्दों से डाटना, मारना शुरु करती है। इससे यही लगता है कि पंडिताइन चाची के न्यायविधान में न क्षमा का स्थान था, न अपील का अधिकार।

अतिरिक्त प्रश्नः

प्रश्न 4.
“नहीं, यह तो गत आषाढ़ में चौदह की हो चुकी।”
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बिन्दा’ नामक पाठ से लिया गया है। इसकी लेखिका महादेवी वर्मा जी हैं।
संदर्भ : महादेवी जी सामने बैठे सज्जन को प्रवेश पत्र लौटाते हुए जब कहती हैं कि इसमें उम्र सही नहीं भरी है, तब वह सज्जन यह जवाब देते हैं।
स्पष्टीकरण : एक सज्जन अपनी पुत्री का स्कूल में दाखिला करवाने आए हुए थे। महादेवी जी उस दुर्बल सी, छोटी सी लड़की पर नजर डालकर साथ आए सज्जन से पूछती है- शायद आपने इसमें इसकी उम्र सही नहीं भरी है। ठीक कर दीजिए, नहीं तो भविष्य कठिनाई आएगी। तब वे सज्जन कहते हैं, “नहीं, यह तो गत आषाढ़ में ही चौदह वर्ष की हो चुकी है।”

प्रश्न 5.
“आँखें गड्ढे में धंस गयी थी, मुख दानों से भर कर न जाने कैसा हो गया था।”
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बिन्दा’ नामक पाठ से लिया गया है। इसकी लेखिका महादेवी वर्मा जी हैं।
संदर्भ : एक दिन बालिका महादेवी बिन्दा को देखने चुपके से उसके घर में दाखिल हो जाती है। तब बिन्दा का ऐसा रूप देखती है।
स्पष्टीकरण : बहुत दिनों तक महादेवी ने जब बिन्दा को घर-आँगन में काम करते नहीं देखा तो एक दिन वह सबकी नजरें बचाकर बिन्दा के घर पहुंच गई। बिन्दा अकेली एक खाट पर पड़ी थी। उसकी आँखे गड्ढ़े में धंस गयी थीं। मुख दानों से भर कर न जाने कैसा हो गया था। बिन्दा बीमार हो गयी थी। उसको चेचक की बीमारी हो आयी थी। उसकी नयी अम्मा भी उसकी देखभाल नहीं करती थीं।

प्रश्न 6.
“तब क्या उस घर में विवाह हो रहा है, और हो रहा है तो किसका?”
उत्तरः
प्रसंग : प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक ‘साहित्य वैभव’ के ‘बिन्दा’ नामक पाठ से लिया गया है इसकी लेखिका महादेवी वर्मा जी हैं।
संदर्भ : बालिका महादेवी ने जब बिन्दा के घर के दरवाजे पर लोगों की भीड़ देखी तो उनके मन में यह प्रश्न पैदा हुआ।
स्पष्टीकरण : एक दिन रुकिया ने महादेवी की माँ को कुछ बताया और वह रामायण बन्द कर आँखे पोंछती बिन्दा के घर चल दी। ऐसे में महादेवी के लिए यह जानना आवश्यक हो गया कि आखिर हुआ क्या है। वे खिड़की से झाँककर देखती हैं कि बिन्दा के घर के दरवाजे पर बहुत आदमी जमा है। उन्होंने ऐसी भीड़ सिर्फ बारात-विवाह के समय ही देखी थी। तब उन्होंने सोचा ‘क्या उस घर में विवाह हो रहा है, और हो रहा है तो किसका?’ इस तरह के प्रश्न उनके मन में उठने लगते हैं।

V. कोष्ठक में दिए गए कारक चिन्हों से रिक्त स्थान भरिए:

(को, की, पर, से)

प्रश्न 1.
बिन्दा ………….. समस्या का समाधान न हो सका।
उत्तरः
की

प्रश्न 2.
बिन्दा ……….. मेरा उपाय कुछ ऊंचा नहीं।
उत्तरः
को

प्रश्न 3.
उसके घर जाने …………. माँ ने मुझे रोक दिया था।
उत्तरः
से

प्रश्न 4.
चूल्हे ………….. चढ़ाया दूध उफना जा रहा था।
उत्तरः
पर

प्रश्न 5.
बिन्दा ………….. सहेली महादेवी हैं।
उत्तरः
की।

VI. अन्य लिंग रूप लिखिए:

प्रश्न 1.
भिखारिन, पंडिताइन, लेखिका, बैल, चाची, नाना, दादी, विद्यार्थिनी, बालिका।
उत्तरः

  • भिखारिन – भिखारी
  • पंडिताइन – पंडित
  • लेखिका – लेखक
  • बैल – गाय
  • चाची – चाचा
  • नाना – नानी
  • दादी – दादा
  • विद्यार्थिनी – विद्यार्थी
  • बालिका – बालक

VII. अन्य वचन रूप लिखिएः

प्रश्न 1.
बच्चा, कोठरी, सीढ़ी, मुद्रा, पंखा, दरवाजे, उँगली।
उत्तरः

  • बच्चा – बच्चे
  • कोठरी – कोठरियाँ
  • सीढ़ी – सीढ़ियाँ
  • मुद्रा – मुद्राएँ
  • पंखा – पंखे
  • दरवाजे – दरवाजा
  • उँगली – उँगलियाँ

VIII. विलोम शब्द लिखिएः

प्रश्न 1.
दुर्बल, स्पष्ट, ज्ञात, मृत्यु, स्वर्ग, पुण्य, सुन्दर, न्याय, पराजय, स्वाभाविक, ऊपर।
उत्तरः

  • दुर्बल × सबल
  • स्पष्ट × अस्पष्ट
  • ज्ञात × अज्ञात
  • मृत्यु × जन्म
  • स्वर्ग × नरक
  • पुण्य × पाप
  • सुन्दर × कुरुप
  • न्याय × अन्याय
  • पराजय × जय
  • स्वाभाविक × अस्वाभाविक
  • ऊपर × नीचे

बिन्दा लेखिका का परिचयः

श्रीमती महादेवी वर्मा हिन्दी साहित्य की प्रमुख छायावादी कवयित्री हैं। उनका जन्म 1907 ई. में फरुखाबाद में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा इन्दौर में हुई। आपने प्रयाग विश्वविद्यालय से एम.ए. की उपाधि प्राप्त की। आप विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि से अलंकृत हुई|
मुख्य कृतियाँ : ‘अतीत के चलचित्र’, ‘स्मृति की रेखाएँ’, ‘पथ के साथी’ …. इत्यादि। आपको 1983 में अपने ‘यामा’ काव्य संग्रह पर ज्ञानपीठ पुरस्कार मिला है।
प्रस्तुत रेखाचित्र ‘बिंदा’ को ‘अतीत के चलचित्र’ से लिया गया है। यह एक हृदयस्पर्शी रेखाचित्र है। बिन्दा लेखिका के बचपन की सहेली है। सौतेली माँ द्वारा सताई गयी, वह खिलने से पहले ही मुरझा गई।
‘बिन्दा’ के माध्यम से मातृप्रेम से वंचित व सौतेली माँ के क्रूर व्यवहार को दर्शाने के उद्देश्य से इस रेखाचित्र का चयन किया गया है।

बिन्दा Summary in Hindi

महादेवी वर्मा अच्छी कवयित्री ही नहीं, बल्कि विशिष्ट गद्य लेखिका भी हैं। वे रेखाचित्र और संस्मरण लिखने में प्रवीण हैं। इनके रेखाचित्रों में संस्मरण की शैली भी पाई जाती है। अतः इनके रेखाचित्र गंगा-जमुना का सुंदर संगम है। महादेवी वर्मा ने ‘बिन्दा’ रेखाचित्र में अपने बचपन की सखी की दर्दभरी कहानी की मार्मिक तस्वीर खींची है।

बिन्दा लेखिका के बचपन की सहेली थी। उसकी माँ उसके बचपन में ही चल बसी थी। उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली। अतः बिन्दा का बचपन सौतेली माँ की कठोर निगरानी और कठिन दंड-संहिता में ही बीता।

बिन्दा की सौतेली माँ को सब लोग पंडिताइन चाची कहकर पुकारते हैं। बिन्दा की दिनचर्या घड़ी की सुई की तरह सदा चलती रहती है। उसके जीवन के शब्दकोश में ‘आराम’ या ‘चैन’ शब्द ही नहीं था। चाहे सर्दी का मौसम हो या गर्मी का – बिन्दा को दिन-रात घर का काम करना ही पड़ता था। फिर सौतेली माँ की सेवा भी करनी पड़ती थी।

बिन्दा पाँच-दस मिनट के लिए अदृश्य हो जाती, तो पंडिताइन चाची शेरनी की तरह दहाड़ती थी और बिन्दा हिरन की बच्ची की तरह थर-थर काँप उठती थी। पंडिताइन चाची बात-बात पर बिन्दा को डाँटा करती थी। इतना ही नहीं, वह बिन्दा को भद्दी से भद्दी गालियाँ भी देती थी।

लेखिका भी बिन्दा की उम्र की ही थी, पर बिन्दा की दुःख-भरी कहानी समझ नहीं पाती थी। वह घर में कोई भी काम नहीं करती थी, फिर भी उसकी माँ उसे नहीं डाँटती थी, लेकिन बिन्दा दिन-रात कोल्हू के बैल की तरह काम करती रहती थी, तब भी डाँट-फटकार सुनती थी। इसका कारण लेखिका का बाल-मन समझ नहीं पाया।

बिन्दा ने एक दिन चाँदनी रात में चमकते हुए एक तारे को दिखाकर अपनी बाल-सखी से कहा कि लो, वह देखो। मेरी अम्मा आकाश में तारा बनकर चमक रही है। लेखिका ने अपनी माँ से कहा कि माँ! तुम कभी भी तारा न बनना। तुम सदा मेरे पास ही रहो। लेखिका की माँ अपनी बेटी की बातें सुनकर सुन्न रह गई।

बिन्दा को चेचक की बीमारी लगी हुई थी। माँ-बाप उसे आँगन में खाट पर छोड़कर, घर के ऊपरी भाग में रहने लगते हैं, जब कि बिन्दा खाट पर अकेली पड़ी रहती थी।

बिन्दा कई दिन तक खाट पर कराहती रही। एक दिन अचानक लेखिका को पता चला कि बिन्दा अपनी माँ से मिलने आकाश में चली गई है। लेखिका के मन में अपनी बाल्य-सखी बिन्दा का दर्द-भरा चेहरा हमेशा बना रहा। वह उस दीन बिन्दा को नहीं भूल पाई।

बिन्दा Summary in Kannada

बिन्दा Summary in Kannada 1
बिन्दा Summary in Kannada 2

बिन्दा Summary in English

‘Binda’, written by Mahadevi Varma, presents a beautiful character sketch of her childhood friend.

Binda was the author’s childhood friend. Her mother had died during her childhood, and her father had remarried. Thus, her childhood was spent under the strict supervision of her stepmother and her harsh punishment.

Binda’s stepmother was called ‘Pandithayin Chachi’ by everyone. Binda’s daily routine and chores kept on ticking like the hands of a clock. Her vocabulary did not contain the words ‘rest’ or ‘leisure’. Whether it was summer or winter, Binda had to do the chores of the household, day and night. Then, she had to serve her stepmother.

. If Binda was out of sight even for a few minutes, her step-mother would roar as a lioness and Binda would shiver like a fawn. Binda’s step-mother would scold her for the smallest things. That was not all; she would shower Binda with very nasty swear-words and abuses.

The author was also of Binda’s age, but could not understand Binda’s painful story. The author would not do any of the household chores and yet her mother would never scold her. However, Binda would work day and night like an ox in the fields and still receive abuse at the end of the day. The author’s young mind could not understand her friend’s situation.

One moonlit night, Binda was looking up at the stars and told the author that her mother had become a star, up in the sky. The author, upon returning home, told her mother to never become a star. She told her mother to stay with her always. The author’s mother was shocked to hear this.

Binda was struck by small-pox. Her parents left her on a cot in the courtyard and began to live in the upper section of the house. Binda would lie alone on the cot.

Binda lay on the cot, groaning and crying in pain, for many days. One day, suddenly, the author found out that Binda had gone to meet her mother, up in the sky. The image of Binda’s sad face remained imprinted in the mind of the author. She could never forget her poor friend Binda.

कठिन शब्दार्थः

  • सलज्ज – लाज से;
  • बिछुए – पाँव की उँगलियों का एक गहना;
  • फिरकनी – फिरकी/चकरी नामकं खिलौना;
  • खजड़ी – खजरी, छोटी डफली;
  • अवसन्न – खिन्न, उदास;
  • पदच्युत – पद से हटाना;
  • चेचक – शीतला नामक रोग (smallpox)
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